"Geetaantar" " गीतान्तर"
गीत-ग़ज़ल का अनूठा संग्रह
Monday, May 12, 2014
मीठी है बूँदेंली माटी मिसरी जैसी घाटी ! - विनोद मिश्र 'सुरमणि'
1.
मीठी है बूँदेंली माटी
मिसरी जैसी घाटी !
चंदन घिस कवि बन गये तूलसी
अबधी संग में बाटी !
मीठो सीठो स्वाद बो जानो
जीने जाये चाटी !
कात 'विनोद' बचालो जाये
पुरखन की परिपाटी !
2.
जल रऔ दिया पौर में जब तक बनो उजेरौ तब तक.
जा की जा लौ सें उजियारये अटा अटारी अब तक.
तपौ दिया घर की माटी सें पक नइं गऔ है तब तक. कुल कौ दिया उजेलौ जासें 'विनोद' बनो रै कब तक..
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