सूरज की ये करामत है !
मेरे हिस्से सिर्फ रात है !!
ख़ुद से जीत न पाता है जो !
उसकी तो हर जगह मात है !!
इश्क करो मत , धोखा होगा ,
ये कोई बात मैं बात है !
दुनिया उसकी, वो दुनिया का ,
हाथ कि जिसका जगन्नाथ है !
अब सिंदूर वहां रहता है ,
जहाँ न दिन औ न रात है !
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