ये गमे -दिल ! साथ मेरे तू कहाँ तक जायेगा !
मैकदे तक जायेगा , या आस्ताँ तक जायेगा !!
खोज कर हारा , न पाया आज तक उसका पता ,
पर मेरा बेलौस नाला जाने जाँ तक जाएगा !
रह गया तनहा मुसाफ़िर जैसा मीरे कारवाँ ,
वो उफ़ुक के पार यानि बेकराँ तक जाएगा !
कारवाँ का हर मुसाफ़िर अपनी मंजिल पा गया ,
राहबर से कौन पूछे तू कहाँ तक जाएगा !
हमसफ़र को भी यकीं 'सिन्दूर' है भटका हुआ ,
रास्ता कोई भी हो मेरे मकां तक जाएगा !
प्रोफे. राम स्वरुप 'सिन्दूर'
मैकदे तक जायेगा , या आस्ताँ तक जायेगा !!
खोज कर हारा , न पाया आज तक उसका पता ,
पर मेरा बेलौस नाला जाने जाँ तक जाएगा !
रह गया तनहा मुसाफ़िर जैसा मीरे कारवाँ ,
वो उफ़ुक के पार यानि बेकराँ तक जाएगा !
कारवाँ का हर मुसाफ़िर अपनी मंजिल पा गया ,
राहबर से कौन पूछे तू कहाँ तक जाएगा !
हमसफ़र को भी यकीं 'सिन्दूर' है भटका हुआ ,
रास्ता कोई भी हो मेरे मकां तक जाएगा !
प्रोफे. राम स्वरुप 'सिन्दूर'
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