देर हुई घर आने में !
दिल बैठा तैखाने में !!
क्या बतलाऊँ क्या-क्या था !
मेरे लुटे खजाने में !!
गुलशन रास न आया तो,
लौट पड़ा वीराने में !
इश्क ख़ुदकुशी कर लेता,
मान गया समझाने में !
मुझे चैन सा मिलता है,
दिल-ही-दिल पछताने में !
वो शर्माता है, सिर पर,
अपना बोझ उठाने में !
मसला सुलझा, एक नहीं,
उम्र गयी सुलझाने में !
जिसको मैंने मन्त्र दिया,
मुझे लगा बहकाने में !
उम्र कैद की सज़ा मिली,
इश्क किया बचकाने में !
जिस ने जो चाहा जोड़ा,
पाक-साफ़ अफ़साने में !
सांसें जल-कर खाक हुईं,
दिल की आग बुझाने !
घर- बैठा 'सिन्दूर' मगर,
दिल है कहाँ ठिकाने में !
दिल बैठा तैखाने में !!
क्या बतलाऊँ क्या-क्या था !
मेरे लुटे खजाने में !!
गुलशन रास न आया तो,
लौट पड़ा वीराने में !
इश्क ख़ुदकुशी कर लेता,
मान गया समझाने में !
मुझे चैन सा मिलता है,
दिल-ही-दिल पछताने में !
वो शर्माता है, सिर पर,
अपना बोझ उठाने में !
मसला सुलझा, एक नहीं,
उम्र गयी सुलझाने में !
जिसको मैंने मन्त्र दिया,
मुझे लगा बहकाने में !
उम्र कैद की सज़ा मिली,
इश्क किया बचकाने में !
जिस ने जो चाहा जोड़ा,
पाक-साफ़ अफ़साने में !
सांसें जल-कर खाक हुईं,
दिल की आग बुझाने !
घर- बैठा 'सिन्दूर' मगर,
दिल है कहाँ ठिकाने में !
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