अक्षर-अक्षर मेघ उभरते
तू न सही, तेरे पत्रों से ही बातें होती हैं !
चंदा-वाले दिन, सूरज-वाली रातें होती हैं !
चित्रांकित सम्बोधन अनपढ़-सपने पढ़ लेते हैं,
प्राकृत आलेखों को आँसू अर्थ नए देते हैं,
सुधियाँ कैसी भी हों, मादक सौगातें होती हैं !
अक्षर-अक्षर मेघ उभरते, नीर बरस जाता है,
इन्द्रधनुष का शब्द-भेद शर कल्प-छन्द गाता है,
यौवन अक्षत कर दें, ऐसी भी घांतें होती हैं !
मैं तेरी करुणा को, अपनी धुन में लेता हूँ,
अपने विगत रूप का अब मैं, केवल अभिनेता हूँ,
जमुना-जल पर, गंगा-जल की बरसातें होती हैं !
तू न सही, तेरे पत्रों से ही बातें होती हैं !
चंदा-वाले दिन, सूरज-वाली रातें होती हैं !
चित्रांकित सम्बोधन अनपढ़-सपने पढ़ लेते हैं,
प्राकृत आलेखों को आँसू अर्थ नए देते हैं,
सुधियाँ कैसी भी हों, मादक सौगातें होती हैं !
अक्षर-अक्षर मेघ उभरते, नीर बरस जाता है,
इन्द्रधनुष का शब्द-भेद शर कल्प-छन्द गाता है,
यौवन अक्षत कर दें, ऐसी भी घांतें होती हैं !
मैं तेरी करुणा को, अपनी धुन में लेता हूँ,
अपने विगत रूप का अब मैं, केवल अभिनेता हूँ,
जमुना-जल पर, गंगा-जल की बरसातें होती हैं !
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