शिद्द्त के साथ जीने की, आदत नहीं गई |
क़िस्मत से मेरी खुल के, अदावत नहीं गई |
जाने को उसके साथ सभी कुछ चला गया
पर छोड़ मुझको तन्हा मुहब्बत नहीं गई |
जो कुछ भी कमाया था गँवाया है इश्क़ में
पर पाक - साफ़ रूह की लागत नहीं गई |
विष पी के जी रही है ज़िन्दगी लम्हा-लम्हा
ये और-और जीने की हसरत नहीं गई |
हाथों में हथकड़ी है मेरे पाँव में बेड़ियाँ
ख्वावों में उससे मिलने की हसरत नहीं गई |
'सिन्दूर ' तेरे दाँव लगाने के दिन गये
दुश्मन को मात देने की क़ुव्वत नहीं गई |
क़िस्मत से मेरी खुल के, अदावत नहीं गई |
जाने को उसके साथ सभी कुछ चला गया
पर छोड़ मुझको तन्हा मुहब्बत नहीं गई |
जो कुछ भी कमाया था गँवाया है इश्क़ में
पर पाक - साफ़ रूह की लागत नहीं गई |
विष पी के जी रही है ज़िन्दगी लम्हा-लम्हा
ये और-और जीने की हसरत नहीं गई |
हाथों में हथकड़ी है मेरे पाँव में बेड़ियाँ
ख्वावों में उससे मिलने की हसरत नहीं गई |
'सिन्दूर ' तेरे दाँव लगाने के दिन गये
दुश्मन को मात देने की क़ुव्वत नहीं गई |
No comments:
Post a Comment