ज़ुल्म के तल्ख अंधेरों के तलबगार हो तुम
जानता हूँ मेरे दुश्मन के मददगार हो तुम
जिसके हर शब्द में इक मौत नज़र आती हो
आज के दौर का खूंखार सा अख़बार हो तुम
आज के दौर का खूंखार सा अख़बार हो तुम
तुमने घर घर में ज़राइम को पनाहें दीं हैं
एक मेरे नहीं दुनिया के गुनहगार हो तुम
एक मेरे नहीं दुनिया के गुनहगार हो तुम
देखना एक दिन तुमसे ये कहेगी दुनिया
खौफ खाए हुए हालात से बेज़ार हो तुम
खौफ खाए हुए हालात से बेज़ार हो तुम
तुम जो चाहो तो ज़माने को बदल सकते हो
वक्त के साथ हो काबिल हो समझदार हो तुम
वक्त के साथ हो काबिल हो समझदार हो तुम
ये तो समझो की कहाँ साथ खड़े हो किसके
हाथ वो कौन है जिसके बने हथियार हो तुम
हाथ वो कौन है जिसके बने हथियार हो तुम
मौत के साथ मुहब्बत का सफर होगा क्या
वो यही सोच है जिसके कि तरफदार हो तुम
वो यही सोच है जिसके कि तरफदार हो तुम
bahut sundar gajal hai
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