Thursday, April 16, 2015

अब जाम निगाहों से पिलाने नहीं आते - मंजु अग्नि



अब जाम निगाहों से पिलाने नहीं आते ,
वो झूठी मुहब्बत भी जताने नहीं आते !!

आग़ोश में हैं चाँद सितारे अभी उनके ,
मजबूर हैं वो रात बिताने नहीं आते !!

गुल भी नहीं ख़ुशबू-ए-तमन्ना भी नहीं है ,
दस्त-ए-दुआ को फूल उगाने नहीं आते !!

जज़्बात के बादल तो बरसते हैं घनेरे ,
दरिया हमे अश्क़ो के बहाने नहीं आते !!

ये दर्द मेरी ज़िन्दगी भर की है कमाई ,
बेबात अजी ग़म के ख़ज़ाने नहीं आते !!

यूँ तो हैं मुहब्बत के तलबगार हज़ारों ,
पर हर किसी को नख़रे उठाने नहीं आते !!heart इमोट " मंजु अग्नि "

No comments:

Post a Comment