1-
मैं उतना अच्छा नहीं जितना तुम समझते थे,
उतना बुरा भी नहीं जितना तुम मान बैठे हो,
कि तुम हमेशा सिरा पकड़ते हो,
और मै
अक्सर कहीं धागे के बीच में होता हूँ |
2-
मैने तुमसे जब भी बातें की |
धीरे से वो सारी बातें
औरों ने सुन ली,
कहने लगे
मैं कविताएँ कहता हूँ |
पर ये सच नहीं /
मैं तो ' सिर्फ ' और ' सिर्फ'
तुमसे
बात करता हूँ ||
मैं उतना अच्छा नहीं जितना तुम समझते थे,
उतना बुरा भी नहीं जितना तुम मान बैठे हो,
कि तुम हमेशा सिरा पकड़ते हो,
और मै
अक्सर कहीं धागे के बीच में होता हूँ |
2-
मैने तुमसे जब भी बातें की |
धीरे से वो सारी बातें
औरों ने सुन ली,
कहने लगे
मैं कविताएँ कहता हूँ |
पर ये सच नहीं /
मैं तो ' सिर्फ ' और ' सिर्फ'
तुमसे
बात करता हूँ ||
बहुत मासूम कविता विशाल भाई ।
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