Friday, July 18, 2014

कितनी बार शर्मसार होगी मानवता थू है इस समाज पर - दिव्या शुक्ला

कितनी बार शर्मसार होगी मानवता थू है इस समाज पर
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कल ही हुई लखनऊ में बलात्कार की घटना सोचने पर मजबूर करती है
कौन कहता है हम सभ्य समाज में रह रहे हैं ----------
आदिमानव भी इतना क्रूर और संवेदनहीन न रहा होगा
माँसाहारी पशुओं में भी ऐसी क्रूरता अपनी मादाओं के प्रति नहीं होती
कल ही मोहनलालगंज में हुई सामूहिक बलात्कार की क्रूरतम घटना ने तो
हाड़ तक कंपा दिये घृणा की लहर दौड़ गई ...कितने कमीने कितने नृशंस है
जिन्होंने इसे अंजाम दिया ---

किसी न किसी औरत के गर्भ से ही तो जन्म लिया होगा ....
कोई न कोई उनकी कलाई पर भी रक्षा सूत्र बाँधती ही होगी --
कैसे घसीटा होगा उन्होंने कलाई पकड कर उसके गर्भ पर प्रहार करते समय क्या
उन्हें अपनी माँ न याद आई --- 

क्या देह की भूख इतना गिरा देती है --
अगर स्त्री से कोई दुश्मनी भी है तो क्या यह तरीका है उससे बदला लेने का
मोहनलाल गंज के बलसिंह खेडा के प्राथमिक विद्यालय में 

एक युवती की सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या --
इतनी बर्बरता तो पशुओं में भी नहीं होती -- 
आज अख़बार रंगे है निर्भया काण्ड से भी क्रूर काण्ड --
 पता नहीं कब तक चलेगा ये सिलसिला कब तक आखिर कब तक ---
घिन आती ऐसे पुरुषों से धिक्कार है उन पर --
अब तो लगता औरतो को ही माँ भवानी का स्वरूप धर इन दैत्यों का बध करना होगा ---
अभी तक शिनाख्त भी नहीं हुई उस लड़की की
मन व्यतिथ और छोभ से भरा है --

 रोज़ रोज़ की यह घटनाएँ सोचने पर मजबूर करती है क्या औरतों का यही सम्मान है --
यह वही देश है जहाँ देवी पूजी जाती है
कन्याये पूज कर आशीर्वाद लेते है और उन्ही का ऐसा अपमान - धिक्कार है
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