बड़े भैया के लिए, जो बस अब स्मृतियों में ज़िंदा हैं...
याद बस छोड़ गया, याद दिलाने वाला,
ऐसे जाता है कोई रूठ के जाने वाला ?
भाई तो था ही मेरा, राहनुमा पहले था,
राह में छोड़ गया, राह दिखाने वाला.
फ़ैसले होते थे सब मेरे उसी के दम से,
अब कहां मैं हूं ग़लत ! कौन बताने वाला.
तल्ख़ियां ख़ूब हुईं, सोच के बेफ़िक्री से,
वो न था बात मेरी दिल से लगाने वाला.
किसको मालूम था इक झोंके से बुझ जाएगा,
अपने जज़्बों से बुझी शमाँएं जलाने वाला.
सच है जाने वाले लौट के नहीं आते उनकी यादें जरुर बार-बार आती हैं ! आपकी ग़ज़ल अपने भाई को समर्पित एक सच्ची श्रधांजलि है !
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