Thursday, January 12, 2017

हार जीत तो दुनिया भर के साथ है - मुकुट बिहारी 'सरोज'

इसमें रोने-धोने की क्या बात है,
हार-जीत तो दुनिया भर के साथ है !

नपी तुली सांसें माटी को मिली, यही क्या कम मिला
यह  किस्मत की बात किसी को ख़ुशी, किसी को गम मिला
तुम तो हो इन्सान कि जो कह लेते हो दुःख-दर्द को ---
चाँद कहाँ तक रोये, जिसके आगे पीछे रात है !

सूरज रोता अगर कि जैसी मिली बिचारे को जलन
कब का डूब गया होता अब तक तारों वाला गगन
लेकिन साहस तो देखो उस चलती-फिरती आग का--
जहाँ पाँव रख देती है, मुस्काता वहीँ प्रभात है !

चरणों का इतिहास मंजिलों से जाकर पूछो ज़रा
कितने चले गुलाबों पर, कितनों का मन प्यासा मरा
तुम शायद विश्वास करोगे नहीं कि इस संसार में---
छुईमुई के पातों तक पर पतझर का आघात है !

इसमें रोने-धोने की क्या बात है,
हार-जीत तो दुनिया भर के साथ है !   

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