मधुवास जिया जाये
अधिवास या-कि निर्वास
जिया जाये !
प्रति-पल कोई उल्लास
जिया जाये !
उच्छवास अतल से अमृत
खींच लाये,
नि:श्वास शून्य के अधरों
पर गाये,
करुणा मन्वन्तर-व्यापी
छन्द रचे
संवास या-कि वनवास जिया
जाये !
बारहमासी मधुमास जिया
जाये !
वय की संगणना अंकों की
माया,
अन्त तक रहेगी सोनल यह
काया,
मेरे तप का आतप सह लेती
है,
संवेदन की मेघिल-मेघिल
छाया,
विन्यास या-कि संन्यास
जिया जाये !
ज्वार के शीश पर रास
जिया जाये !
मुझ से, मुझ-तक मेरा
संज्ञान गया,
कल्प का भेद, मैं क्षण
में जान गया,
मैंने ऐसा नि:शब्द गीत
गाया
जो बोधिसत्व मुझ में
सन्धान गया,
विश्वास या-कि आभास जिया
जाये !
केवल कवि का इतिहास जिया
जाये !
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