ओ गाज़ा के शैतान बच्चो
तुम जो मेरे घर के बाहर
गली में शोर-शराबा करते हुए
नाक में दम किये रखते थे
तुम , जो हर सुबह को हुडदंग
और धमक से भर दिया करते थे
तुम , जिन्होंने मेरा प्यारा गुलदान तोड़ डाला
और मेरी खिड़की के बाहर खिला
एक मात्र फूल चुरा लिया
लौट आओ और खूब मचाओ शोर
और तोड़ दो सारे गुलदान , चुरा लो सारे फूल
लौट आओ ..................बस लौट आओ
तुम जो मेरे घर के बाहर
गली में शोर-शराबा करते हुए
नाक में दम किये रखते थे
तुम , जो हर सुबह को हुडदंग
और धमक से भर दिया करते थे
तुम , जिन्होंने मेरा प्यारा गुलदान तोड़ डाला
और मेरी खिड़की के बाहर खिला
एक मात्र फूल चुरा लिया
लौट आओ और खूब मचाओ शोर
और तोड़ दो सारे गुलदान , चुरा लो सारे फूल
लौट आओ ..................बस लौट आओ
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