सुबह छूटी
शामें साधते रहे हम तुम
धुन्धवाते सूरज रात-दिन
तापते रहे हम तुम
मंझली माँ संझली दी
बड़की भौजाई
बजरे बूढर , सांवरे पिता
बड़े भाई !
देवता सिराने
आराधते रहे हम तुम !
छाती पर धरी हुई
क्वारीं आशायें
ब्याही कम
ज्यादातर उम्ररसीदायें
लक्षमन रेखाओं से
बांधते रहे हम तुम
शामें साधते रहे हम तुम
धुन्धवाते सूरज रात-दिन
तापते रहे हम तुम
मंझली माँ संझली दी
बड़की भौजाई
बजरे बूढर , सांवरे पिता
बड़े भाई !
देवता सिराने
आराधते रहे हम तुम !
छाती पर धरी हुई
क्वारीं आशायें
ब्याही कम
ज्यादातर उम्ररसीदायें
लक्षमन रेखाओं से
बांधते रहे हम तुम
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