हिल नही रहा
बारहसिंघा
सूरज की गेंद
उठाये सर पे
कह रहा दुनिया को
देखो
मैं~~~~मैं सवेरा लाया.....
सोच रहा.....
कहीं गिर न पड़े सूरज.....
थामे खड़ा सांस....
बघार रहा शान.....!
किरणों ने बनाया घेरा
उसके सींगों में फँस
सूरज को सरकाया
तब समझ आया....
ऊपर था चढ़ आया....
रवि तो स्थिर था.........!
उतरने में समय नहीं लगेगा....
किसी ने समझाया........!!!
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