Sunday, October 26, 2014

सख्त चट्टानों सी जिन्दगी के बीच - सुवर्णा दीक्षित

माँ

सख्त चट्टानों सी
जिन्दगी के बीच
झांकती हुई
नर्म धूप सी

ठिठुरती - काँपती
बेरहम सर्दियों में
कटोरी भर धूप सी

घने काले
बादलों में से
झांकती - मुस्कराती
किसी किरण सी

ऐसी ही हो तुम

तुम हो
तो लगता है
जिन्दा हैं उम्मीदें
जिन्दा है ईश्वर










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