"Geetaantar" " गीतान्तर"
गीत-ग़ज़ल का अनूठा संग्रह
Saturday, October 18, 2014
मेरे छूने से तुम हो जाते हो - अवज्ञा अमरजीत गुप्ता
मेरे छूने से तुम हो जाते हो
अपवित्र-अशुद्ध...
और जरूरी हो जाता है
तुम्हारा नहाना...
खुद को कोसूं ,रोकूँ उस पीढ़ी का नहीं हूँ मैं...
मैं तुम्हें तब-तक छूता रहूँगा
जब-तक सर्दी जुकाम से तुम मर ना जाओ
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