दो-चार बार हम जो कभी हंस-हंसा लिए !
सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए !
रहते हमारे पास तो ये टूटते जरुर ,
अच्छा किया जो आपने सपने चुरा लिए !
सुख, बादलों में जैसे नहाती हों बिजलियाँ ,
दुःख, बिजलियों की आग में बादल नहा लिए !
जब हो सकी न बात तो हमने यही किया ,
अपनी ग़ज़ल के शेर कहीं गुनगुना लिए !
अब भी किसी दराज़ में मिल जायेंगे 'कुंअर',
वो ख़त जो तुमको दे सके लिख-लिखा लिए !
सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए !
रहते हमारे पास तो ये टूटते जरुर ,
अच्छा किया जो आपने सपने चुरा लिए !
सुख, बादलों में जैसे नहाती हों बिजलियाँ ,
दुःख, बिजलियों की आग में बादल नहा लिए !
जब हो सकी न बात तो हमने यही किया ,
अपनी ग़ज़ल के शेर कहीं गुनगुना लिए !
अब भी किसी दराज़ में मिल जायेंगे 'कुंअर',
वो ख़त जो तुमको दे सके लिख-लिखा लिए !
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