Sunday, April 27, 2014

वो जिससे चाँद भी रूठा हो और सूरज भी - डॉ. रेनू चंद्रा

गज़ब जो ऐसा हुआ हो , कभी खुदा न करे
कि प्यार शक़ में ढला हो , कभी खुदा न करे

वो जिससे चाँद भी रूठा हो और सूरज भी
अंधेरा उससे ख़फ़ा हो , कभी खुदा न करे

कुबूल जिसकी दुआएं कभी हुई ही नहीं
शुमार उसकी खता हो ,कभी खुदा न करे

किसी को प्यार भरे दिल कुछ न परवा हो
गुरुर इतना बढ़ा हो , कभी ख़ुदा न करे





सिसक-सिसक के कोई मांगता हो मौत अगर
न वो भी उसको अता हो , कभी ख़ुदा न करे


न आये मौत न , ही रास ज़िन्दगी आए
नसीब इतना बुरा हो , कभी ख़ुदा न करे

जो हमसे रूठे हुए हैं , मनाएं हम उनको
हमें किसी से गिला हो , कभी ख़ुदा न करे


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