Friday, April 4, 2014

जिसे जो चाहिए उसको वही नसीब नहीं - ओम प्रकाश नदीम

जिसे जो चाहिए उसको वही नसीब नहीं
मगर ये बात यहाँ के लिए अजीब नहीं

हवाएँ आग बुझाने की बात करने लगीं
कहीं चुनाव का माहौल तो क़रीब नहीं


ज़मीन-ए-ज़र से ही इफ़लास जन्म लेता है
जहाँ अमीर नहीं हैं वहाँ ग़रीब नहीं

कोई बताये कि आख़िर मरीज़ जाएँ कहाँ
कहीं दवाएँ नहीं हैं कहीं तबीब नहीं

हमें भी अपने लिए मार्केट बनाना है
दुकानदार हैं हम सब कोई अदीब नहीं


तबीब --डॉक्टर , अदीब ---साहित्यकार

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