बाबू जी,
लोग कहते हैं
तुम आज नहीं हो
तुम होते हुये भी
मेरे लिये कब थे
तुम एकाकी नहीं थे
मैं जानता था , फिर भी मेरे लिए
नहीं थे सहज उपलब्ध
मैंने जब से तुम्हें जाना था
तब से, जब भी मैंने करीब आना चाहा था
तुम भागते रहे थे दूर-दूर
सच तो ये है कि तुम मुझसे नहीं
भाग रहे थे अपने आपसे
खून के रिश्ते भी तुमने बना रखे थे असहज
वावजूद इसके मैंने बना रखे थे इकतरफा सम्बन्ध तुमसे
क्यों कि मेरे न होकर भी मेरे थे तुम ..................
लोग कहते हैं
तुम आज नहीं हो
तुम होते हुये भी
मेरे लिये कब थे
तुम एकाकी नहीं थे
मैं जानता था , फिर भी मेरे लिए
नहीं थे सहज उपलब्ध
मैंने जब से तुम्हें जाना था
तब से, जब भी मैंने करीब आना चाहा था
तुम भागते रहे थे दूर-दूर
सच तो ये है कि तुम मुझसे नहीं
भाग रहे थे अपने आपसे
खून के रिश्ते भी तुमने बना रखे थे असहज
वावजूद इसके मैंने बना रखे थे इकतरफा सम्बन्ध तुमसे
क्यों कि मेरे न होकर भी मेरे थे तुम ..................
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