मन तुम काज़ी हो या मुल्ला
ठूंसो थूथन वहीँ , जहाँ पर
मचता हल्ला-गुल्ला
अपना काम नहीं करते हो
अपना दीन न साधो
राजनीति में पिले पड़े हो
सत्ता पथ के माधो
खोज रहे हो जहाँ समर्थन
वे ही देंगे ठोकर
सोचो भला फसल क्या मिलना
अहंकार को बोकर
पर दुःख कातर बने खोजते
पद वाला रसगुल्ला
या फिर प्रगतिशील कहलाकर
पुरस्कार की आशा
गूँथ रहे शब्दों की माला
ज्यों कविता की भाषा
अथवा नेता या अभिनेता
बनकर पुजना चाहो
कुछ भी हो पहले सच की
अपनी गहराई थाहो
पानी पी संतोष करो
मत करो दूध का कुल्ला
ठूंसो थूथन वहीँ , जहाँ पर
मचता हल्ला-गुल्ला
अपना काम नहीं करते हो
अपना दीन न साधो
राजनीति में पिले पड़े हो
सत्ता पथ के माधो
खोज रहे हो जहाँ समर्थन
वे ही देंगे ठोकर
सोचो भला फसल क्या मिलना
अहंकार को बोकर
पर दुःख कातर बने खोजते
पद वाला रसगुल्ला
या फिर प्रगतिशील कहलाकर
पुरस्कार की आशा
गूँथ रहे शब्दों की माला
ज्यों कविता की भाषा
अथवा नेता या अभिनेता
बनकर पुजना चाहो
कुछ भी हो पहले सच की
अपनी गहराई थाहो
पानी पी संतोष करो
मत करो दूध का कुल्ला
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