ए आस्माँ
जब भी तेरी आँख से
झरा अश्क
धरा ने सोख लिया
जब भी तेरी आँख से
झरा अश्क
धरा ने सोख लिया
कभी तूने भी
धरा के माथे पर
धधकते लावे का
चुम्बन लिया होता
और प्रेम को मुकम्मल किया होता
इश्क के इम्तिहान देने और लेने में बडा फ़र्क हुआ करता है ………
धरा के माथे पर
धधकते लावे का
चुम्बन लिया होता
और प्रेम को मुकम्मल किया होता
इश्क के इम्तिहान देने और लेने में बडा फ़र्क हुआ करता है ………
No comments:
Post a Comment