मन तुम यों न सभी से झगड़ो
जिनमे हो घमंड , तेहा , छल
उन्हें ठीक से रगड़ो
जिनके स्वर में भरी दीनता
उनसे झुककर बोलो
जिनके स्वर में तीखापन हो
उन्हें वहीँ पर तोलो
आगा-पीछा बहुत न सोचो
यह संसार पराया
हानि-लाभ की करो न चिंता
अमर नहीं है काया
फूँक-फूँक कर पाँव धरो क्यों
क्यों स्वाभाव को जकड़ो
जितना ही भय खाया तुमने
उतना ही मरना है
हँसना या रोना समान है
उमर पार करना है
भला यहाँ से क्या ले जाना
छोड़ यहाँ क्या जाना
खाली हाथ यहाँ आये थे
खाली हाथ पराना
जितना जीना जिओ बेधडक
नहीं दबो या आकड़ो
जिनमे हो घमंड , तेहा , छल
उन्हें ठीक से रगड़ो
जिनके स्वर में भरी दीनता
उनसे झुककर बोलो
जिनके स्वर में तीखापन हो
उन्हें वहीँ पर तोलो
आगा-पीछा बहुत न सोचो
यह संसार पराया
हानि-लाभ की करो न चिंता
अमर नहीं है काया
फूँक-फूँक कर पाँव धरो क्यों
क्यों स्वाभाव को जकड़ो
जितना ही भय खाया तुमने
उतना ही मरना है
हँसना या रोना समान है
उमर पार करना है
भला यहाँ से क्या ले जाना
छोड़ यहाँ क्या जाना
खाली हाथ यहाँ आये थे
खाली हाथ पराना
जितना जीना जिओ बेधडक
नहीं दबो या आकड़ो
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