मन तुम क्यों झाड़ो अंगरेजी
अपनी हिंदी दुग्ध-धवल है
अंगरेजी रंगरेजी
दुग्ध-धवल किरणें सतरंगी
जाननहारा जाने
जिसको नहीं ज्ञान रंगों का
वह कैसे अनुमाने
जिस में वाणी सभी रंग हैं
सोई अपनी भाषा
ओंठ रंगाये बैठी है जो , वह
कोठे की परिभाषा
धीरज धरो रहो देसी ढंग
गहो न ऐसी तेजी
नेताओं की ओर न देखो
उनका ह्रदय विदेशी
जब देखो तब खोज रहे हैं
आब-हवा परदेशी
उनको तो सरकारी सुविधा
वहीँ खुले हैं खाते
हम जनता अपनी जमीन से
जीवन अपना पाते
प्राइमरी के पढ़े हुए हैं
हमें न भावे के.जी.
अपनी हिंदी दुग्ध-धवल है
अंगरेजी रंगरेजी
दुग्ध-धवल किरणें सतरंगी
जाननहारा जाने
जिसको नहीं ज्ञान रंगों का
वह कैसे अनुमाने
जिस में वाणी सभी रंग हैं
सोई अपनी भाषा
ओंठ रंगाये बैठी है जो , वह
कोठे की परिभाषा
धीरज धरो रहो देसी ढंग
गहो न ऐसी तेजी
नेताओं की ओर न देखो
उनका ह्रदय विदेशी
जब देखो तब खोज रहे हैं
आब-हवा परदेशी
उनको तो सरकारी सुविधा
वहीँ खुले हैं खाते
हम जनता अपनी जमीन से
जीवन अपना पाते
प्राइमरी के पढ़े हुए हैं
हमें न भावे के.जी.
No comments:
Post a Comment