Sunday, May 18, 2014

उनसे मिले तो उनई सी कहन लगे - कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र

उनसे मिले तो उनई सी कहन लगे,
हमसे मिले सो हमई सी कहन लगे,
जो तो उनको चरित्तर बन गओ,
जिनसे मिले सो उनई सी कहन लगे.

लकदक सफ़ेद कुरता टांग के,
पनहियाँ पैरन में बाँध के,
निकर परे गाँव-शहर की गेल में,
चुनाव के आसार से लगन लगे.

अमीर, गरीब को भेद नईं कर रये,
अपएं मुंह पे मुस्कान लहे फिर रये,
होयें बूढ़े, जुआन चाहें लोग, लुगाई
सबईं के चरण छुअन लगे.

जीते फिर उनकी शकल न दिखानी,
भूल गए बे सबईं बातें पुरानी,
नोंच-नोंच मांस खान लगे पिरजा को,
हाय दईया बिना मौत सब मरन लगे.

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