Monday, December 19, 2022

कुंडली तो मिल गई है...... - इति शिवहरे औरय्या उत्तर प्रदेश

 कुंडली तो मिल गई है,

मन नहीं मिलता, पुरोहित !

क्या सफल परिणय रहेगा ?


गुण मिले सब जोग वर से, गोत्र भी उत्तम चुना है |

ठीक है कद, रंग भी मेरी तरह कुछ गेंहुआ है |

मिर्च मुझ पर माँ न जाने  क्यों घुमाये जा रही है |

भाग्य से है घर-वर, बस यही समझा रही है |


भानु, शशि, गुरु, शुभ त्रिबल, गुण-दोष.

है सब कुछ व्यवस्थित,

अब न प्रति-पल भय रहेगा ?


रीति- रस्मों के लिये शुभ लग्न देखा जा रहा है |

क्यों अशुभ कुछ सोचकर, मुहं को कलेजा आ रहा है ?

अब अपरिचित हित यहाँ मंतव्य जाना जा रहा है |

किन्तु मेरा मौन 'हाँ' की ओर माना जा रहा है |


देह की हल्दी भरेगी घाव अंतस के अपरिमित ?

सर्व मंगलमय रहेगा ?


क्या सशंकित माँग पर सिन्दूर की रेखा बनाऊँ ?

सात पग भर मात्र चलकर साथ सदियों का निभाऊँ ?

यज्ञ की समिधा लिए फिर से नये संकल्प भर लूँ ?

क्या अपूरित प्रेम की सद्भावना उत्सर्ग कर दूँ ?


भूलकर अपना अहित-हित पूर्ण हो जाऊँ समर्पित ?

ये कुशल अभिनय रहेगा !

क्या सफल परिणय रहेगा ?  

No comments:

Post a Comment