चेहरा एक , मुखौटे अनगिन
इतने सभ्य हुये ,
भीतर-भीतर बड़े घिनौने
बाहर भव्य हुये !
सांप नहीं पर ये साँपों से भी
हैं ज़्यादा जहरीले ,
है किस में इतनी मजाल जो
इनके डसे हुये को कीले ,
यों तो , इनकी कई जातियां
यही अलभ्य हुये !
पानीदार कहेंगे ख़ुद को
पर आँखों का पानी सूखा ,
छोड़ शराफ़त सभी डकारें
फिर भी पेट दिखायें भूखा ,
रीती गगरी में , जो छलके
ऐसे द्रव्य हुये !
अक्खडपन , फक्कडपन इनका
मूक बने सब नखरे सहते
ये तो हैं देवता सरीखे
हम मनुष्य कैसे संग रहते ,
दर्द आधुनिक , कथा वही पर
ये ही दिव्य हुये !
बड़े दिखेगें सीधे-सादे
पर बिल में भी चलते टेढ़े ,
राग अलापेंगे भैरव में
वार बड़े पर मोहक छेड़े ,
इन का बड़ा , हुआ है धोखा
सभी असभ्य हुये !
इतने सभ्य हुये ,
भीतर-भीतर बड़े घिनौने
बाहर भव्य हुये !
सांप नहीं पर ये साँपों से भी
हैं ज़्यादा जहरीले ,
है किस में इतनी मजाल जो
इनके डसे हुये को कीले ,
यों तो , इनकी कई जातियां
यही अलभ्य हुये !
पानीदार कहेंगे ख़ुद को
पर आँखों का पानी सूखा ,
छोड़ शराफ़त सभी डकारें
फिर भी पेट दिखायें भूखा ,
रीती गगरी में , जो छलके
ऐसे द्रव्य हुये !
अक्खडपन , फक्कडपन इनका
मूक बने सब नखरे सहते
ये तो हैं देवता सरीखे
हम मनुष्य कैसे संग रहते ,
दर्द आधुनिक , कथा वही पर
ये ही दिव्य हुये !
बड़े दिखेगें सीधे-सादे
पर बिल में भी चलते टेढ़े ,
राग अलापेंगे भैरव में
वार बड़े पर मोहक छेड़े ,
इन का बड़ा , हुआ है धोखा
सभी असभ्य हुये !
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