Monday, November 10, 2014

सुनो, लेखक-वेखकों को अब सस्पेंड कर दो - विवेक कुमार

सुनो,
लेखक-वेखकों को अब सस्पेंड कर दो
और कवियों की कर दो छंटनी।
अब हमें चाहिए चमार
जो मरे हुए शब्दों की
खाल उधेड़ सकें, बेझिझक।
अब हमें चाहिए लुहार
जो शब्दों को पिघलाकर
फौलादी तलवारें बना सकें।
अब हमें चाहिए कुम्हार
जो मिट्टी के शब्दों को
कठोर कड़वे पत्थर बना सकें।
अब हमें चाहिए सुनार
जिनके बनाए शब्दों की
लोग जान से बढ़कर हिफाजत करें।
और सुनो,
भर्ती करते वक्त ध्यान रखना
कोई ब्राह्मण न हो,
क्योंकि भूखो मरना भी आना चाहिए।

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