Saturday, April 11, 2020

हिंसक - अनिल सिन्दूर

नाखून
हैं तो पोरों की
सुरक्षा को
लेकिन
गाहे-बगाहे
हम गड़ा ही देते हैं
उन्हें
और बन जाते हैं
हिंसक |

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