Saturday, December 17, 2016

ऐसे क्षण आए जीवन में - प्रोफे. राम स्वरुप सिन्दूर

ऐसे क्षण आए जीवन में................

ऐसे क्षण आए जीवन में, माटी कंचन लगे !
नयन रह जायें ठगे-ठगे !

तन लहराये अगरु गन्ध-सा
मन लहरे किसलय-सा,
हर पल लगे प्रणय की बेला
हर उत्सव परिणय-सा,

छाया तक कस लेने वाला बंधन, कंगन लगे !
नयन रह जायें ठगे-ठगे !


अपनी छाया अंकित कर दूँ
इस दहरी उस द्वारे,
पानी में प्रतिविम्ब निहारूँ
मन-मोहक पट-धारे,

चकाचौंध चौंध कर देने-वाला सूरज दर्पण लगे !

नयन रह जायें ठगे-ठगे !

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