Monday, July 14, 2014

सोचें और विचारें हम ! - शशि कान्त पाठक


सोचें और विचारें हम !
खुद में जरा निहारें हम !!

क्षमता जो है छिपी हुई !
उसको जरा उबारें हम !!


कमियों की पहचान करें !
झट से उन्हें सुधारे हम !!


अहम चढ़े यदि सर पे तो !
फट से उन्हें उतारे हम !!


अमन चैन भर कर दिल में !
सुन्दर वक़्त गुजारे हम !!

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