Thursday, July 17, 2014

चलता रह तू साथ मुकद्दर - गौरव वाजपई 'स्वप्निल'

चलता रह तू
साथ मुकद्दर
तेरे चलता जाएगा
ठान लिया जो मन में तूने
निश्चित इक दिन पाएगा
जो अवरोध मिलेंगे तुझको
कड़ी परीक्षा यदि लेंगे
तो तेरे श्रम का प्रतिफल भी
निश्चित वो तुझको देंगे
तू तो अपना कर्म किए जा
फल तो खुद ही आएगा
चलता रह तू
साथ मुकद्दर
तेरे चलता जाएगा
दृढ संकल्प हृदय में लेकर
जो बस चलता जाता है
निश्चय ही अपनी मंज़िल वो
इक दिन तो पा जाता है
घबराए बिन यदि तू अपने
पथ पर चलता जायेगा
निश्चित है तू नित दिन अपना
भाग्य बदलता जाएगा
चलता रह तू
साथ मुकद्दर
तेरे चलता जाएगा
ठान लिया जो मन में तूने
निश्चित इक दिन पाएगा.........

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