Monday, August 11, 2014

ओ गाज़ा के शैतान बच्चो - खालिद रज़ा ( फिलिस्तीनी कवि )

ओ गाज़ा के शैतान बच्चो
तुम जो मेरे घर के बाहर
गली में शोर-शराबा करते हुए
नाक में दम किये रखते थे

तुम ,  जो हर सुबह को  हुडदंग
और धमक से भर दिया करते थे

तुम , जिन्होंने मेरा प्यारा गुलदान तोड़ डाला
और मेरी खिड़की के बाहर खिला
एक मात्र फूल चुरा लिया

लौट आओ और खूब मचाओ शोर
और तोड़ दो सारे गुलदान , चुरा लो सारे फूल
लौट आओ ..................बस लौट आओ

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