Saturday, August 30, 2014

मेरे न रहने पर आये मेरे सारे परिचित - राकेश मूथा

मेरे न रहने पर आये
मेरे सारे परिचित
वो भी आये
जो कभी नहीं आये थे
मुझे पूछने
मेरे घर
जब में ज़िंदा था
दुखी लग रहे थे


सब दोस्त ,दुश्मन
मेरे न रहने पर
उन सब का प्यार देख
भूल गया मैं अपनी मृत्यु
और खो गया
उस प्यार की धुंध में
कभी फिर इस कोहरे से
बाहिर न निकलने के लिए .................

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