Saturday, October 25, 2014

चिंदी चिंदी सुख हैं थान बराबर दुःख हैं - दिव्या शुक्ला

चिंदी चिंदी सुख हैं
थान बराबर दुःख हैं
चलो टुकड़ों में फाड़ें
दुःख के इस थान को
बीच बीच में सुख की
चिंदिया लगा कर
एक पैबन्दो वाली चादर सिलें
पत्थरों के बिस्तर की सलवटें
अपने हाथों से मिटायें -
फिर यही चादर ओढ़ कर
चलो उस पत्थर पर लेट जाएँ
हम दोनों ------
मै च्युंगम चबाऊंगीं
तुम सिगरेट सुलगा लेना
उसके धुंये में उड़ा देना
सारे गम गिले शिकवे
लेकिन बस आज ही
तुम्हे पता है न ----
मै हमेशा ही कहती हूँ
सुनो !सिगरेट मत पिया करो
पर तुम न सुनते ही कहाँ हो
अच्छा बस उँगलियों में ही
फंसा कर रखो न अब -
जरा स्मार्ट से लगते हो जी
और मै अपनी सारी खीझ
च्युंगम चबा चबा कर ही
निकाल दूंगी ---

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