Tuesday, October 28, 2014

अरे ओ, समाज को राह दिखाने वाले ठेकेदारो - अनिल सिन्दूर

अरे ओ,
समाज को राह  दिखाने वाले  ठेकेदारो
न बोये होते यदि कड़बे बीज
जिन्होनें बढ़ा दी खायी
बीच उनके जो हुआ करते थे करीब
तो पूजे जाते तुम
जो बोया है वही काटना है तुम्हें
जिन्होनें तुम्हारे चरणों को दिया था
एक ऐसा आवरण जो सुरक्षित रख सके उन्हें
तुमने दंभ में, उसके सर पर ही
उन्हें रखने का अपराध कर डाला 

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