गीत
जैसे तुम सोच रहे साथी
वैसे आज़ाद नहीं हैं हम
पिंजरे जैसी इस दुनिया में
पंछी जैसा ही रहना है
भरपेट मिले दाना-पानी
लेकिन मन ही मन दहना है
जैसे तुम सोच रहे साथी
वैसे संवाद नहीं हैं हम
आगे बढ़ने की कोशिश में
रिश्ते नाते सब छूट गये
तन को जितना गढ़ना चाहा
मन से उतना ही टूट गये
जैसे तुम सोच रहे साथी
वैसे आबाद नहीं हैं हम
पलकों ने लौटाये सपने
आँखें बोली अब मत आना
आना ही तो सच में आना
आकर फिर लौट नहीं जाना
जितना तुम सोच रहे साथी
उतना बरबाद नहीं हैं हम
जैसे तुम सोच रहे साथी
वैसे आज़ाद नहीं हैं हम
पिंजरे जैसी इस दुनिया में
पंछी जैसा ही रहना है
भरपेट मिले दाना-पानी
लेकिन मन ही मन दहना है
जैसे तुम सोच रहे साथी
वैसे संवाद नहीं हैं हम
आगे बढ़ने की कोशिश में
रिश्ते नाते सब छूट गये
तन को जितना गढ़ना चाहा
मन से उतना ही टूट गये
जैसे तुम सोच रहे साथी
वैसे आबाद नहीं हैं हम
पलकों ने लौटाये सपने
आँखें बोली अब मत आना
आना ही तो सच में आना
आकर फिर लौट नहीं जाना
जितना तुम सोच रहे साथी
उतना बरबाद नहीं हैं हम
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