Saturday, March 21, 2015

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास - नागार्जुन

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया, सोई उसके पास

कई दिनों तक लगी भीत पर, छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी, हालत रही शिकस्त

दाने आये घर के अन्दर, कई दिनों के बाद
धुआं उठा आँगन से ऊपर, कई दिनों के बाद

चमक उठी घर-भर की आँखें, कई दिनों के बाद
कौये ने खुजलाई पांखे, कई दिनों के बाद

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