Thursday, March 12, 2015

डॉ रेनू चन्द्रा की पांच रचनायें



1-


नयी कविता है
जीने के लिए किये गए
समझोतों के बाँध में पड़ी
विवेक की दरार से
बूंद-बूंद रिसता जीवन जल

नयी कविता है
एक पहचान भर
व्यक्तित्व की इबारत के नीचे
एक सार्थक हस्ताक्षर

नयी कविता है
सिफारिश के अभाव में
मात्र प्रतिभा की सनद दिखा कर
इंटरव्यू से नाकाम लौटे
मेधावी का आक्रोश

नयी कविता है
छंदों के बंधन से मुक्त
लय-ताल में न सिमट सकी
भावनाओं की
तीव्रतम अभिव्यक्ति

नयी कविता है
प्रसव पीड़ा झेलती
उदास साँझ के गर्भ से
जन्म लेना
विचार शिशु का

नयी कविता है
मौत की आहट पर
ज़िन्दगी के नाम
पछतावे का
टूटता स्वर 

2-

उसने
ईसा कहकर मुझे सम्मान दिया
और मेरी भावनाओं को
वक़्त की सलीब पर टांग दिया
धर दिया माथे पर
परंपरा का कंटीला ताज
सब्र की कीलों से
हाथ पैर बांध दिये
फिर
मेरे आगे माथा झुका कर
मुझे मसीहा भी कहा
अपना रहनुमा भी
और अपनी राह ली

तब से आज तक
मैं इंतजार में हूँ   
कि वह
हाथ में पत्थर लेकर लौटे
क्यों कि फिर से जी उठने के लिए
पथराव से मौत की शर्त
हमेशा रही है

3-
जरा सुनो
हम तो इत्मीनान से खड़े थे
अपनी छत के नीचे
फिर वह
कौन था
टूटकर बरसते पानी में
भीगने को अभिशप्त ?

4-

जरा सोचो
पढ़ी तो थी बाढ़ की खबर
हमने भी
फिर तह करके
किनारे रख दिया था अख़बार
पर वह
कौन था
जो घुटनों-घुटनों
बजबजाते पानी में खड़ा
अंजुरी-अंजुरी
बाहर उलीचता रहा जल ?
 
5-   
मजबूरियो,
अभी और सताओ मुझे
अभी तो मेरी आँखों की चमक बाकी है
और चेहरे पर गुलाबीपन
मौसम अभी भी
खुशनुमा लगता मुझे
भोर की लाली को निहार कर
खिल उठता है मन

परिस्थितियो
तुमने बिगड़कर
क्या बिगाड़ लिया मेरा ?
मैं तो आज भी
बेज़ार नहीं हूँ जीने से

बिडंबनाओ
अभी और लो मेरा इम्तिहान
मैं चट्टनों के नीचे
सुगबुगाती हुई पहल हूँ
मेरा नाम है ज़िन्दगी 
परिचय

डॉ  रेनू चन्द्रा  -
पेशे से चिकित्सक ,बेहद संवेदनशील कवि ह्रदय रचनाकार , रंगकर्मी , सोशल एक्टिविष्ट हैं !
सम्पर्क - चन्द्रा  नर्सिंग होम , पटेल नगर , उरई -285 001
मोब. - 094150 70175


 


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