Saturday, June 14, 2014

आओ हम सब मिलकर - अनिल सिन्दूर


आओ
हम सब मिलकर
समाज के
उन कटीले शूलों को
तोड़ने की कोशिश करें
जिन्हें आता है सिर्फ
और सिर्फ दर्द देना


जब भी हमने
बढ़ा दी अपनी सहनशक्ति
इज़ाफा हुआ है इनकी ताकत में
अब तोड़ना ही होगा
इनके बढ़ते होंसलों को
हमेशा-हमेशा के लिए

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