Friday, June 6, 2014

आँख पर पट्टी रहे और अक्ल पर ताला रहे - अदम गोंडवी

आँख पर पट्टी रहे और अक्ल पर ताला रहे
अपने शाहे वक्त का यूँ मर्तबा आला रहे.

देखने को दे उन्हें अल्लाह कंप्यूटर की आँख
सोचने को कोई बाबा बाल्टी वाला रहे.

तालिबे शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे
आये दिन अखबार में प्रतिभूति घोटाला रहे.

एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए
चार छै चमचे रहें माइक रहे माला रहे..."

No comments:

Post a Comment