Sunday, June 8, 2014

समुद्री चक्रवात की मार सबसे ख़ौफ़नाक नहीं होती - सुशान्त सुप्रिय

(पाश को समर्पित)
"समुद्री चक्रवात की मार
सबसे ख़ौफ़नाक नहीं होती
भूकम्प की तबाही
सबसे ख़ौफ़नाक नहीं होती
छूट गई दिल की धड़कन
सबसे ख़ौफ़नाक नहीं होती

सबसे पीछे छूट जाना- बुरा तो है
एड़ी में काँटे का चुभ जाना- बुरा तो है
पर सबसे ख़ौफ़नाक नहीं होता
दुःस्वप्न में छटपटाना- बुरा तो है
किताबों में दीमक लग जाना- बुरा तो है
अजंता-एलोरा का खंडहर होता जाना-
बुरा तो है
पर सबसे ख़ौफ़नाक नहीं होता
सबसे ख़ौफ़नाक होता है
अपनी ही नज़रों में गिर जाना
देह में दिल का धड़कते रहना
पर भीतर कहीं कुछ मर जाना
सबसे ख़ौफ़नाक होता है
आत्मा का कालिख़ से भर जाना
सबसे ख़ौफ़नाक होता है
अन्याय के विरुद्ध भी
न उबलना लहू का
चेहरे पर पैरों के निशान पड़ जाना
सबसे ख़ौफ़नाक होता है
खुली आँखों में क़ब्र का
अँधेरा भर जाना..."

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