Wednesday, September 3, 2014

मैं सुख पर सुषमा पर रीझा , इसकी मुझको लाज नहीं है - हरिवंश राय बच्चन

मैं सुख पर सुषमा पर रीझा
इसकी मुझको लाज नहीं है

भीतर बहता गंगा जल हो
होंठ कहें पर पानी पानी

चलती-फलती है दुनिया में
बहुधा ऐसी बेईमानी

मेरे पूर्वज किन्तु
ह्रदय की सच्चाई पर मिटते आये

मधुबन भोगे मरू उपदेशे
मेरे वंश रिवाज नहीं है

मैं सुख पर सुषमा पर रीझा
इसकी मुझको लाज नहीं है


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