Thursday, September 4, 2014

दो रचनायें प्रो.शरद नारायण खरे की ............

फर्ज़
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नेताजी
जनकल्याण
निभा
रहे हैं
जन
की गणना
में
सबसे पहले
ख़ुद को
पा
रहे हैं ।।



बहुत ख़ूब
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वे
ऊपरी कमाई
को
हाथ भी
नहीं
लगाते हैं
इसलिए
उनके मातहत
अटैची में
भरकर
लाते हैं ।।

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