Monday, September 22, 2014

दर्द जब हद से गुज़र जाता है...... - वीणा श्रीवास्तव

दर्द जब हद से गुज़र जाता है......
तो हो ही जाता है
दिल मे ठहर कर भारी .......
तो कभी
आँखों की कोर से चुपचाप बहकर, हल्का
माथे पर उभरी रेखाओं मे अनसुलझा
मस्तिष्क मे चढ़ा आशंकाओं की भेंट
तो कभी....
अधरों पर विरह गुनगुनाता गीत सा,
इश्क़ का मारा,मुफ़लिसी के समंदर सा खारा
ज़ेहन मे डूबता-उतराता नासमझ .....
बदमाश
कोई तो होगी दवा तेरी.........?

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