Monday, May 12, 2014

फक़ीर सामने बैठा गुरूर टूट गया, - प्रमोद तिवारी

फक़ीर सामने बैठा गुरूर टूट गया,
जो चूर-चूर था वो भी हुज़ूर टूट गया।

अदब से हमने ज़रा उनसे बात क्या कर ली,
अदब नवाज़ का सारा शऊर टूट गया।

बड़ा गुरूर था अपने हुनर पर दोनों को,
गिरा फिर टूटकर बादल तो तूर टूट गया।

तमाम रास्ता तन्हाँ ही तय हुआ आखिर,
चला जो साथ मेरे थोड़ी दूर टूट गया।

सुबूत के लिए मौके पे रहा सन्नाटा,
हुई गवाहियाँ तो बेकसूर टूट गया।

तरस के रह गये फिर एक झलक भी न मिली,
गिरा जो आइना तो सारा नूर टूट गया।

निकल के मैकदे से उसकी ओर क्या देखा,
नश्शा उतर गया सारा सरूर टूट गया।

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