Monday, May 26, 2014

अधर पर क्यों सरल सुस्मित नहीं है - डॉ. रेनू चंद्रा

अधर पर क्यों सरल सुस्मित नहीं है
कोई इस बात पर चिंतित नहीं है

धरा ये रक्तरंजित हो चली , पर
कोई ठिठका , कोई विस्मित नहीं है

बढ़ी जाती अँधेरे की सघनता
उजाले का कहीं इंगित नहीं है

दुखद परिवर्तनों की सूचना भी
किसी अभिलेख में अंकित नहीं है

ये कैसा राज्य है , सहमी है जनता
अराजक तत्व आतंकित नहीं है

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