Tuesday, May 6, 2014

हंसो कि सारा जग भर जाए , पथ को वृन्दावन कर जाए - कृष्ण मुरारी पहारिया

हंसो कि सारा जग भर जाए
पथ को वृन्दावन कर जाए

यूँ तो उमर बोझ होती है
पीड़ा की गढ़री ढोती है
किन्तु कहीं इसके भीतर भी
सपनों की नगरी सोती है

भले कभी आंसू ढर जाए
पथ को वृन्दावन कर जाए

आंसू तो सुख में भी बहते
दुःख के संग सदा जो रहते
ये हैं गहराई के संगी
दुहरी कथा सदा से कहते

भारीपन अपने घर जाए
पथ को वृन्दावन कर जाए

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